रामायण की पहली चौपाई सही उत्तर

सनातन संस्कृति को मानने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मन में रामायण की पहली चौपाई कौन सी है । ये प्रश्न जरूर आता होगा। यदि आप इस पेज पर हो तो संभवतः आपके दिमांग में भी ये प्रश्न जरूर होगा । इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें क्योंकि तथ्य चौंकाने वाले हैं। इस लेख में विस्तार से वर्णन किया गया। इस लेख में उपलब्ध सम्पूर्ण जानकारी का स्रोत मूल श्री रामचरितमानस एवं वाल्मीकि रामायण ही है। एवं पेज के अंत में श्री रामचरित मानस की 10 अत्यंत उपयोगी चौपाइयों का उल्लेख है। जिनको अवश्य पढ़ें। एवं आपके परिवार पर कौशिल्या नंदन , राजाधिराज, मर्यादा पुरुषोत्तम, प्रभु श्री राम की कृपा सदैव बनी रहे । इन्हीं शुभकामनाओं के साथ ये लेख प्रस्तुत है।

रामायण की पहली चौपाई –

बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा। अमिअ मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू॥

– श्री रामचरितमानस, प्रथम सोपान, वालकाण्ड

अर्थात – मैं अपने गुरुदेव जी के चरण कमलों की रज-धूल की वंदना करता हूँ। जो सुरुचि , सुगंध तथा अनुराग रूपी रस से पूर्ण हैं। वह अमर मूल का सुंदर चूर्ण हैं । जो सम्पूर्ण भवरोगों के परिवार को नाश करने वाला है ।

क्या उपरोक्त उत्तर सही है ? उत्तर होगा – नहीं । क्योंकि रामायण महर्षि वाल्मीकि जी की रचना है। जो कि संस्कृत में है। संस्कृत में चौपाई नहीं होती है। उपरोक्त चौपाई तुलसी दास जी द्वारा रचित रामचरित मानस की पहली चौपाई है। न कि रामायण की। श्री रामचरितमानस में पहले 7 श्लोक हैं। उसके बाद 5 सोरठा उसके बाद श्री रामचरितमानस की पहली चौपाई आती है। जो कि उपरोक्त है।

श्री रामचरितमानस की पहली Chaupai –

पहली चौपाई

उपरोक्त चौपाई ही श्री रामचरितमानस की पहली चौपाई है। क्योंकि इसके पहले 5 सोरठा और 7 श्लोक हैं। ये प्रश्न बिल्कुल गलत है, कि रामायण कि पहली चौपाई कौन सी है। क्योंकि तुलसीदास जी ने चौपाइयाँ अवधी भाषा में लिखी हैं । जबकि वाल्मीकि जी ने रामायण संस्कृत में लिखी। क्या आपको पता है। कि श्री रामचरितमानस का पहला दोहा कौन सा है?

श्री रामचरितमानस का पहला श्लोक –

“वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि ! मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ !!”

– श्री रामचरितमानस, प्रथम सोपान, वालकाण्ड
अर्थात - अक्षरों एवं अर्थ के समूहो , रसों और छंदों,मंगलों को करने वाली देवी सरस्वती जी और गणपति गणेश जी की मैं वंदना करता हूँ ।

उपरोक्त श्लोक से ही प्रथम सोपान , वालकाण्ड की शुरुआत होती है। ये प्रथम श्लोक है। इसके पश्चात 6 अन्य श्लोकों का उल्लेख है।

रामचरितमानस का पहला सोरठा –

“जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन।
करउ अनुग्रह सोइ, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।”

– श्री रामचरितमानस, प्रथम सोपान, वालकाण्ड

भावार्थ- जिनके स्मरण मात्र से सिद्धि होती है, जिनका मुख श्रेष्ठ हाथी का सा है, वे ही बुद्धि की राशि और शुभगुणों के घर गणनायक अनुग्रह करो ।

मानस के प्रथम सोपान, वालकाण्ड में 7 श्लोकों के पश्चात 5 सोरठों का उल्लेख है। उपरोक्त सोरठा श्रीरामचरितमानस का प्रथम सोरठा है।

वाल्मीकि रामायण का पहला श्लोक –

“ॐ तपःस्वाध्यायनिरतं तपस्वी वाग्विदां वरम् । नारदं परिपप्रच्छ वाल्मीकिर्मुनिपुङ्गवम् ।।”

– महर्षि वाल्मीकि

अर्थात – तपस्या और स्वाध्याय (वेदपाठ) में निरत और बोलने वालों में श्रेष्ठ , श्री नारद मुनि जी से वाल्मीकि जी ने पूंछा।

उपरोक्त श्लोक महर्षि वाल्मीकि जी कृत वाल्मीकि रामायण का पहला श्लोक है।

रामायण की पहली चौपाई का निष्कर्ष

रामायण की पहली चौपाई
शबरी के राम

यदि ऐसा प्रश्न आपके दिमांग में भी चल रहा है। तो याद रखिए। प्रत्येक बात कि प्रामाणिकता तथ्यों के आधार पर ही हो सकती है। बिना तथ्यों के आधार पर किसी भी बात को प्रमाणित नहीं किया जा सकता । इस बात का तथ्य यह है, कि रामायण महर्षि वाल्मीकि ने लिखी जो कि संस्कृत भाषा में है.। वाल्मीकि रामायण में चौपाइयाँ नहीं हैं । चौपाइयाँ श्री रामचरित मानस में हैं । जो कि अवधी भाषा में लिखी गई हैं । यदि कोई ऐसा प्रश्न करता है तो उसे बताइये – पहली चौपाई रामायण की नहीं होती, वल्कि श्री राम चरित मानस की होती है ।

रामचरितमानस की 10 उपयोगी चौपाईयाँ –

1- मनोकामना की पूर्ति हेतु –

"कवन सो काज कठिन जग माही।
जो नहीं होइ तात तुम पाहीं।।"

2- प्रभु श्री राम की शरण प्राप्ति हेतु चौपाई-

"सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना।
सरनागत बच्छल भगवाना।।"

3- भय मुक्ति के लिए चौपाई-

"रामकथा सुन्दर कर तारी।
संशय बिहग उड़व निहारी।।"

4- अनजान जगह पर डर से रक्षा के लिए रक्षा रेखा खींचते हुए यह चौपाई पढें-

"सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना।
सरनागत बच्छल भगवाना।।"

5 – सुख-संपत्ति और धन प्राप्त करने के लिए चौपाई-

"जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।
सुख संपत्ति नानाविधि पावहिं।।"

6- दुश्मन के विनाश के लिए चौपाई-

"बयरू न कर काहू सन कोई।
रामप्रताप विषमता खोई।।"

7- रोग एवं दुख के विनाश हेतु चौपाई-

"दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज नहिं काहुहिं ब्यापा।।"

8- विद्या और वुद्धि पाने हेतु चौपाई-

"गुरु गृह गए पढ़न रघुराई।
अल्पकाल विद्या सब आई।।"

9- कारोबार करने या बढ़ाने के लिए चौपाई-

"बिस्व भरन पोषन कर जोई।
ताकर नाम भरत असहोई।।"

10- विपत्ति से मुक्ति पाने के लिए चौपाई-

"राजीव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।"

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–धन्यवाद —

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