आदियोगी के इस अंक में राधा रानी के दोहे हिन्दी में प्रस्तुत हैं। किशोरी राधा जी का नाम भगवान श्री कृष्ण जी को अति प्रिय है। जो राधा नाम का जप करते हैं। वे इस लोक एवं पर लोक में भी धन्य हैं, ऐसा संत कहते हैं। श्रीजी की उपासना के अतिरिक्त समस्त संसार के सुख, दुःखों का ही रूप हैं।
जो भक्तजन राधा रानी का स्मरण करते हैं। उसे सारे तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है। एवं सांसारिक विद्याओं में कुशल हो जाता है। किशोरी जी कथा एवं किशोरी जी अनंत हैं। संत पुरूष वृन्दावन में निवास की प्रार्थना करते रहते हैं।
आप पर और आपके परिवार पर श्री वृषुभानु की नंदिनी, राज-राजेश्वरी, लाडली, श्री किशोरी जी कृपा सदैव बनी रहे। ऐसी हमारी कामना है।
राधा रानी के दोहे
“तीन लोक चौदह भवनों की स्वामिनी श्यामा जी।
– दोहा संग्रह
चरणो को चाकर श्याम हमारी राधा रानी को’
मिश्री से मीठा नाम हमारी राधा रानी को।।”
“अंतर्मन में श्याम बसें, धडकन में राधा रानी हो।
– दोहा संग्रह
निज साँसों की उथल पुथल में, मुरली की तान सुहानी हो।।”
– किशोरी जी के दोहे
“राधा का प्राकट्य गोविंद राधे।
कृष्ण के समान दिव्य चिन्मय बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“स्वार्थ ते ही प्रेम होवे गोविंद राधे।
सच्चा स्वार्थ ज्ञान सच्चा प्रेम करा दे॥”
“जाने कैसा जादू किया गोविंद राधे।
– किशोरी जी के दोहे
जित देखुँ तित मन सोइ छवि ला दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“हरि ते मिले बिनु गोविंद राधे।
रहा नहिं जाये सोई प्रेम बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“रसना ते हरि बोल गोविंद राधे।
श्याम गौर रस घोल मन को पिला दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“हरि गुरु भक्ति करो गोविंद राधे।
हरि गुरु तेरी सब बिगरी बना दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“सब चाहें निज सुख गोविंद राधे।
याते खटपट रात दिन हो बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“यत्र तत्र सर्वत्र गोविंद राधे।
हरि गुरु सुमिरन मन ते करा दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“सारा जग तनु हित गोविंद राधे।
जीव हित हरि गुरु दो हैं बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“राधा का यह रूप गोविंद राधे।
विधि हरि हर को दुर्लभ बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“कारुण्य की सार गोविंद राधे।
ठकुरानी राधा रानी बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“लालसा बढ़ाओ अरु गोविंद राधे।
राधा कृपा की बाट जोहो बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“प्रेम अगाधा राधा गोविंद राधे।
मनमोहन मन-मोहिनी बता दे॥”
“राधा हैं कृपा शक्ति गोविंद राधे।
– किशोरी जी के दोहे
रो के कृपा माँगो राधा कृपा दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“राधा के नेत्र युग गोविंद राधे।
दिव्य उत्फुल्ल पद्म सदृश बता दे॥”
“वृषभान की दुलारी ये तो गैय्या हेतू भोरी,
– दोहा संग्रह
देख तेरी भक्ति थोरी रीझ देवेगी शरण ।
मन भूल मत जइयो राधा रानी के चरण ।।”
– किशोरी जी के दोहे
“राधा दिव्य अंग ते गोविंद राधे।
भूषण भी भूषित हों बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“कृष्ण हैं पूर्ण चन्द्र गोविंद राधे।
राधा हैं पूर्णचन्द्र ज्योत्स्ना बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“प्रेमरस सार सार गोविंद राधे।
मूर्ति हैं ठकुरानी राधा बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“लालसा बढ़ाओ अरु गोविंद राधे।
राधा कृपा की बाट जोहो बता दे॥”
“श्याम तुम्हारे नाम की, लेती हूँ मै साँस।
– दोहा संग्रह
राधा राधा ही करें, श्याम सलोनें दास।।”
– किशोरी जी के दोहे
“श्रीकृष्ण आत्मरति गोविंद राधे।
आत्मा हैं राधा रानी बता दे॥”
– किशोरी जी के दोहे
“राधा कृष्ण एक ही हैं गोविंद राधे।
लीला के हेतु बने दो हैं बता दे॥”
“बेचैन मानव को मिलती शांति जहां, वो सुहानी शाम राधा रानी।
– दोहा संग्रह
मिल जाता सहज ही श्याम जिससे उन आँसुओ का नाम राधा रानी।।”
“जो बोलै दो हे! हरी, अति मधु रस अविराम।
– दोहा संग्रह
शहद-भरे दोहे हरी, उस राधा के नाम।।”
“कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन, भई वो प्रेम दिवानी।
– दोहा संग्रह
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी।।”
“राधारानी के समीप जाकर, दिल के सारे राज खोलना।
– दोहा संग्रह
सांवरे को अगर पाना है तो, सिर्फ राधे राधे ही बोलना।।”
“कृष्ण की बाँसुरी की धुन में, हो गयी मंत्रमुग्ध राधा रानी। ना देस- परदेस की खबर, प्रेम में लीन हो गयी राधा रानी।।”
– दोहा संग्रह
– दोहा संग्रह
“काम क्रोध का वास न हो, लोभ मोह सब खो जाए ।
प्रभु चरण में मिले चाकरी, मन वृन्दावन हो जाए ।।”
“मेरे कान्हा, मन में हो छवि तुम्हारी
– दोहा संग्रह
श्वांस श्वांस राधे-राधे रट रही हो।
कितना सुंदर वो नजारा हो
जब मन में बसी छवि साक्षात दिख रही हो।
मेरा दिल हो कदम्ब की डाली
मुरली संग रास रच रहा हो भारी।
राधारानी संग नाचे कुंज बिहारी
दोनों की जोड़ी पर हो जाऊँ बलिहारी।”
“गोपियां आनी जानी है,
– दोहा संग्रह
राधा तो मन की रानी है।”
“भक्ति का नाम राधा रानी प्रेम का पैगाम राधा रानी।
– दोहा संग्रह
कृष्ण रहते बावला जिसके लिये वो अमृत का जाम राधा रानी।।”
किशोरी जी के गीत
।।1।।
“जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा
– श्री जी के गीत
वो भारत देश है मेरा।
जहाँ सत्य,अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा।
ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला।
जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा।”
।।2।।
– श्री जी के दोहे
“तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मेरी बांसुरी का गीत हो
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मनमीत हो मेरी राधे। हूँ मैं यहाँ तुम हो वहाँ, तुम बिन नहीं है कुछ यहाँ,
मुझमे धडकती हो तुम ही तुम दूर मुझसे हो कहां। परमात्मा का स्पर्श हो, पुलकित ह्रदय का हर्ष हो,
तुम हो समपर्ण का शिखर, तुम ही मेरा उत्कर्ष हो।”
।।3।।
– श्री जी के गीत
“मन के कोरे कागज पर एक
नया सा कोई गीत लिखूं ।
लिख दूं तुमको अपनी मोहब्बत
या फिर अपना मीत लिखूं ।।
मन के बृज की राधा मुझको
खुद को मेरा श्याम लिखूं ।
जन्म-जन्म की डोर से बंधकर
हर जन्म मैं तेरे नाम लिखूं ।
लिखूं तुम्हें मेरा पागलपन या
इस पागल मन की प्रीत लिखूं ।।”
।।4।।
– श्री जी के गीत
“क्या गीत लिखूँ बरसातों पर, मन खेत तृषित, धन खेत शून्य
तुम गीत मांगते हो उससे जिसके सौ-सौ साकेत शून्य। उजरा राधा का वृन्दावन पायल मीरा की टूट गई।
ऐसे में गाए कौन गीत मुरली मोहन की टूट गई। कवि कलम उठा पथ हेर रहा बारिश हो तब तो गीत बने।”
।।5।।
– श्री जी के गीत
“कृष्ण की बांसुरी नही होती,
राधा यूँ बावरी नही होती।
तुम न होती अगर जो महफ़िल में ,
हमसे यह शायरी नही होती। मन की सरगम में बजता है।
विरह में बह कर नाम जपता है।।
कामनाओं की बांसुरी बजती है।
अभिलाषाएं मिलन गीत गाती हैं।।”
निष्कर्ष-
इस लेख में आपने किशोरी श्री राधा रानी के दोहे पढ़े! श्रीजी से प्रार्थना है कि आप पर और आपके परिवार पर अपनी कृपा सदैव बनाये रखें! राधा रानी और श्री कृष्ण चंद्र जी की विशेष कृपा के लिए आपको युगलाष्टकम भी पढ़ना चाहिए।
युगलाष्टकम के पाठ से आप पर और आपके परिवार पर किशोरी जी की विशेष कृपा प्राप्त होगी! कन्हैया जी को राधा नाम अतिप्रिय है। भगवान तक पहुंचने का सबसे सुगम मार्ग किशोरी जी हैं ! राधा नाम और भक्ति एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। इसलिए सदैव राधा नाम का जप करते रहना चाहिए।
प्रिय पाठक..! आप और आपके सुझाव हमारे लिए अति महत्वपूर्ण हैं! दोनों का यह छोटा सा संकलन, ये छोटा सा प्रयास कैसा था ! अपना सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से अवश्य बताएं।
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