मानसिक डर एक गंभीर समस्या है। यह सबसे शक्तिशाली आवेंगों (Emotions) में से एक है।
ज्यादातर मानसिक समस्याएं काल्पनिक होती है। ये हमारी सोच से पैदा होती हैं।
मेरा व्यक्तिगत मानना है कि दवाएं (Medicines) हमारे मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) का स्थाई समाधान नहीं हैं। वे कुछ समय के लिए ही होती हैं।
मानसिक डर अतीत की घटनाओं का परिणाम भी हो सकता है। या फिर भविष्य के प्रति हमारी सोच का भी परिणाम हो सकता है।
अतीत को विस्मृत करें, हम अतीत की घटनाओं में उलझे रहते हैं। अतीत के बुरी स्मृतियाँ हमें हमारे वर्तमान को ठीक से नहीं जीने देती हैं। उनसे सिर्फ शिक्षा लो।
हमेशा माइंडफुल(Mindful) रहें और डर के पैटर्न का ग्राफ बनाने की कोशिश करें।
डर किन कारणों से पैदा हो रहा है? कब सबसे कम होता है? कब सबसे अधिक? कौन से ऐसे कारक हैं जो इसकी तीव्रता को धीमा करते हैं?
मेडिटेशन करें जैसे एक कंप्यूटर रिस्टार्ट करने से अच्छा परफॉर्मेंस देता है। ठीक वैसे ही ध्यान (Meditation) से दिमांग भी रिस्टार्ट हो जाता है।
इससे हमारा मस्तिष्क विचार शून्य हो जाता है। बहुत सारे नकारात्मक विचार ऐसी ही गुम हो जाते हैं।
यह लेख पूर्णतः वास्तविक अनुभवों पर आधारित है। आप पूरा आर्टिकल यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं।