"छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है।"
"गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है।"
"माला बिखर गयी तो क्या है, खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो, समझो पूरी हुई तपस्या ।"
"रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है।"
"लाखों बार गगरियाँ फूटीं, शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं, चहल-पहल वो ही है तट पर।"
"तम की उमर बढ़ाने वालों..! लौ की आयु घटाने वालों
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।"
"वस्त्र बदलकर आने वालों, चाल बदलकर जाने वालों ,
चन्द खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है।"
"लूट लिया माली ने उपवन, लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,
तूफानों तक ने छेड़ा पर, खिड़की बन्द न हुई धूल की ।"
"नफरत गले लगाने वालों ! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से, दर्पन नहीं मरा करता है।"
"उम्मीद मत छोड़ो, जब आपको लगेगा कि अब कुछ नहीं हो सकता, तभी चमत्कार होगा..!
दुनिया उम्मीद तोड़ सकती है, पर दुनिया बनाने वाला नहीं..!"
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