सरस्वती वंदना संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

इस अंक में सरस्वती वंदना संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित संकलित हैं। विद्या की देवी माँ सरस्वती की कृपा समस्त मानव जाति पर बनी रहे। जिससे कि हम सब काम, क्रोध, लालच और नफरत को हृदय से मिटाकर सौहार्द पूर्ण और सुखमय जीवन व्यतीत करते रहें।

सरस्वती वंदना संस्कृत श्लोक
Godess Saraswati

सरस्वती वंदना संस्कृत श्लोक

“सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम् ।
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना: ॥”

– सरस्वती वंदना श्लोक

अर्थात- वाणी की देवी माता सरस्वती जी को नमस्कार करता हूँ। जिनकी कृपा मात्र से मानव देव समान हो जाता है।


“ ओउम या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता ,
या वीणावरदण्डमण्डित करा या श्वेत पद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता ,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।”

– सरस्वती वंदना श्लोक

अर्थात- विद्या की देवी माँ सरस्वती जी जी कुन्द-पुष्प के समान, शशि, वर्फ़ की माला की तरह सफेद रंग की हैं। श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। जिनके हाथ में वीणा-दण्ड है। जो सफेद कमल पर बैठी हैं! जिनकी त्रिदेव वंदना करते हैं। वह समस्त मूर्खता को समाप्त करने वाली और ज्ञान को देने वाली माँ सरस्वती मेरा पालन करें!”


” शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात्॥”

– सरस्वती वंदना श्लोक

अर्थात- शरत ऋतु में उतपन्न कमल का आसन ग्रहण करने वाली। समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली माँ सरस्वती जी ..! सदैव मेरे मुख में सब सम्पत्तियों के साथ विराजमान रहें!


” सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारंभं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥”

– सरस्वती वंदना श्लोक

अर्थ – हे माँ सरस्वती..! हे वर देने वाली मां, कामरूपिणी। मैं विद्या आरम्भ करने जा रहा हूँ। मुझे सफल बनाना।

“पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती । प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या ॥”

– सरस्वती वंदना श्लोक

 

भावार्थ - बुद्धिरूपी सोने के लिए कसौटी के समान सरस्वती जी, जो केवल वचन से ही विद्धान् और मूर्खों की परीक्षा कर लेती हैं। हमारा पालन करें ।


“सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते।।”

– सरस्वती वंदना श्लोक


अर्थ-  हे! महा भाग्यवती, ज्ञानदात्री, ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली सरस्वती माँ  मुझे विद्या प्रदान करें ।मैं आपको नमस्कार करता हूँ।


” सरस्वति नमौ नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम: । वेदवेदान्तवेदाङ्गविद्यास्थानेभ्य एव च ॥”

– सरस्वती वंदना श्लोक
अर्थ- माँ सरस्वती को नित्य नमस्कार है। भद्रकाली को नमस्कार है। और वेद, वेदान्त, वेदांग तथा विद्याओं के स्थानों को प्रणाम है।

सरस्वती वंदना संस्कृत श्लोक अर्थ सहित –


“लक्ष्मीर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तुष्टि: प्रभा धृति: । एताभि: पाहि तनुभिरष्टाभिर्मां सरस्वति ॥”

– सरस्वती वंदना श्लोक
अर्थ - हे! माँ सरस्वती, लक्ष्मी, मेघा, धरा, पुष्टि, गौरी, तुष्टि, प्रभा, धृति - इन आठ मूर्तियों से मेरी रक्षा करो।


“आशासु राशीभवदङ्गवल्लीभासैव दासीकृतदुग्धसिन्धुम् । मन्दस्मितैर्निन्दितशारदेन्दुं वन्देऽरविन्दासनसुन्दरी त्वाम्।।”

– सरस्वती वंदना श्लोक

अर्थ- कमल का आसान ग्रहण करने वाली हे माँ सरस्वती..! आप आप सब दिशाओं में पुंजीभूत हो।


“वीणाधरे विपुलमङ्गलदानशीले भक्तार्तिनाशिनि विरिञ्चिहरीशवन्द्ये। कीर्तिप्रदेऽखिलमनोरथदे महार्हे विद्याप्रदायिनि सरस्वतिनौमि नित्यम्॥”

– सरस्वती वंदना श्लोक

अर्थ – वीणा धारण करने वाली हे माँ..! समस्त मंगलो को प्रदान करने वाली। भक्तों के दुःखों को दूर करने वाली, यश और देने वाली माँ। आपको नित्य-प्रति नमस्कार करता हूँ।


“विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम्॥”

– सरस्वती वंदना श्लोक
अर्थ- विद्या हमें विनम्रता प्रदान करती है। विनम्रता से योग्यता आती है। और योग्यता से हमें धन प्राप्त होता है। जिससे हम धर्म के कार्य करते हैं। और हमे सुख मिलता है।


“असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्मा अमृतं गमय, ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥”

– सरस्वती वंदना श्लोक
अर्थ- मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो। मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ।


“ॐ भूर्भुवः स्वः । तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्।”

– सरस्वती वंदना श्लोक
अर्थ- उस दुःखनाशक, तेजस्वी, पापनाशक, प्राणस्वरूप, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में परमात्मा प्रेरित करे।

सरस्वती मंत्र और उनके लाभ-

(माँ सरस्वती की वंदना के श्लोक)

“नास्ति विद्यासमं चक्षुः नास्ति सत्यसमं तपः।
नास्ति रागसमं दुःखं नास्ति त्यागसमं सुखम्॥”

– सरस्वती वंदना श्लोक

अर्थात- ज्ञान के जैसे कोई नेत्र नहीं हैं। सच के जैसी कोई तपस्या नहीं है। वासना के जैसा कोई कष्ट नहीं है। और त्याग से बड़ा कोई भी सुख नहीं है।

मंत्र –


“कराग्रे वसते लक्ष्‍मी: करमध्‍ये सरस्‍वती।
करमूले च गोविंद: प्रभाते कुरुदर्शनम्।।”

– सरस्वती वंदना श्लोक
अर्थात - हथेली के सबसे आगे के भाग में लक्ष्मीजी, बीच के भाग में सरस्वतीज और मूल भाग में गोविंद जी निवास करते हैं। इसलिए सुबह दोनों हथेलियों के दर्शन करना करना चाहिए।लाभ - धन, विद्या, भगवत कृपा की प्राप्ति होती है ।


“ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌।”

– सरस्वती वंदना श्लोक

यदि आप ज्ञान और विद्या प्राप्त करना चाहते हैं। और माता सरस्वती को प्रसन्न करना चाहते हैं। तो इस प्रथम दिवस इस मंत्र का 5 माला जाप करें। मां की कृपा आनी शुरू हो जाएगी।

सरस्वती मंगल स्तोत्रम –

(माँ सरस्वती का मंगल स्तोत्र)

श्यामला शारदा श्वेताम्बरदरा श्वेताम्बरभूषिता ।
वरप्र दा वाक देवी महा विद्या श्री विद्या लक्ष्मी विद्या सरस्वती मंगलम ।।
विद्यारूपा विशालाक्षी श्री विद्या सर्वविद्याप्रदा शुभा ।
ब्रह्मज्ञानप्रदायिनी सर्व ज्ञानदायिनी
ज्ञानेश्वरी ज्ञानदात्री ज्ञानसरस्वती मंगलम।।
स्मृतिप्रदा स्मृतिरूपा सद्बुद्धिप्रदायिनी
सर्वमंगलप्रदे देवी
सर्वसिद्धिप्रदायिनी।
भगवती देवी महापातकनाशिनी
श्री महासरस्वती मंगलम।।
मोक्ष सिद्धि प्रदे देवी ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मरूपा ब्रह्मविद्या प्रदायिनी।
ब्रह्मचर्य प्रिये देवी महा मंगल दायिनी।।
महाकाली महाभद्रा महा मंगल देवता।
श्री महात्रिपुर सुन्दरी महाभयहारिणी
श्री सरस्वती मंगलम।।
इति श्री सरस्वती मंगल स्तोत्रम संपूर्णम
श्री कार्तिकेया समर्पणम।।

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