इस अंक में सफलता पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित प्रस्तुत हैं। सफलता कोई एक दिन में प्राप्त हो जाने वाली चीज नहीं है। सफलता के लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है। कोई जादू भी नहीं है जिससे यह आपको प्राप्त हो जाये। सफलता के लिए दृढ़निश्चयी और पवित्र होना आवश्यक है। और साथ ही परिश्रमी होना तो अति आवश्यक है। परिश्रम के बिना तो सफलता की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

संस्कृत श्लोक के माध्यम से मोटिवेशन के साथ-साथ महापुरुषों की कही हुई बात एवं उदाहरणों का भी ज्ञान होता है। चूंकि हमारी भाषा हिंदी है। इसलिए इस लेख में श्लोकों के हिंदी अर्थ का भी समावेश किया गया है।
सफलता पर कुछ पंक्तियां –
“कोई चलता पद चिन्हों पर, कोई पद चिन्ह बनाता है।
– सफलता पर गीत
बस वही सूरमा वीर पुरुष, दुनिया में पूजा जाता है। ।
देता संघर्षों को न्योता, मानवता की खातिर जग में ।
ठोकर से करता दूर सदा, जो भी बाधा आती मग में ।”
सफलता पर संस्कृत श्लोक
“उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
– सफलता पर संस्कृत श्लोक
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।”
अर्थ- यत्न, यानि कि मेहनत से कार्य पूर्ण होते हैं। सिर्फ इच्छाशक्ति से नहीं। जैसे हिरन कभी भी सोते हुए शेर के मुख में स्वयं तो नहीं चला जाता। अपितु शेर को शिकार के लिए मेहनत करनी पड़ती है।
“उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।
– सफलता पर संस्कृत श्लोक
क्षुरासन्नधारा निशिता दुरत्यद्दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति॥”
अर्थात- तुम्हारे रास्ते कठिनाई भरे हैं। रास्ते अति दुर्गम भी हो सकते हैं। लोग कहते हैं कि कठिन रास्ते जाने के लिए ही होते हैं। इसलिए उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर हो।
– सफलता पर संस्कृत श्लोक
“योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय ।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥”
भावार्थ- भगवान श्री कृष्ण कहते हैं। हे पार्थ..! समस्त आसक्ति का त्याग करते हुए। सफलताओं और विफलताओं में समान भाव लेकर सारे कर्मों को करो। ऐसी समता ही योग कहलाती है।
– सफलता पर संस्कृत श्लोक
“अनिर्वेदो हि सततं सर्वार्थेषु प्रवर्तकः।
करोति सफलं जन्तोः कर्मयच्च करोति सः।।”
अर्थात- निराशावाद से मुक्ति, सफलता की तरफ अग्रसर करते है। और अत्यंत प्रसन्नता प्रदान करती है। मानव के साहसी अभियान का फल प्राप्त होना तय होता है।
– सफलता पर संस्कृत श्लोक
“उद्योगिनं पुरुषसिंहं उपैति लक्ष्मीः दैवं हि दैवमिति कापुरुषा वदंति।
दैवं निहत्य कुरु पौरुषं आत्मशक्त्या यत्ने कृते यदि न सिध्यति न कोऽत्र दोषः।”
अर्थात- धन-संपत्ति परिश्रमी मनुष्यों को प्राप्त होती है। निकम्मे लोग तो कहते रहे हैं कि भाग्य में होगा तो मिलकर ही रहेगा।
– सफलता पर संस्कृत श्लोक
“यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत् !
एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति।।”
अर्थ- बिना परिश्रम के भाग्य भी सिद्ध नहीं होता। यह ठीक वैसे ही है जैसे, रथ या गाड़ी बिना एक पहिया के नहीं चल सकती।
– श्लोक संग्रह
“वाणी रसवती यस्य यस्य श्रमवती क्रिया।
लक्ष्मीः दानवती यस्य सफलं तस्य जीवितं॥”
अर्थात- जीवन उसका ही सफल है। जो परिश्रमी है, जिसकी वाणी में मधुरता है। और जो दान करता है।
– श्लोक संग्रह
“प्रभूतंकार्यमल्पंवातन्नरः कर्तुमिच्छति।
सर्वारंभेणतत्कार्यं सिंहादेकंप्रचक्षते॥”
अर्थ – हमको लक्ष्य प्राप्ति हेतु, लक्ष्य पर ध्यान लगाकर कठिन परिश्रम से यत्न करना चाहिए।
– श्लोक संग्रह
“जीवने यस्य जीवन्ति मित्राणीष्टा: सबान्धवा:।
सफलं जीवितं तस्य आत्मार्थे को न जीवति ।।”
अर्थात- अपने लिए तो सब जीते हैं। जन्म उसी का सफल होता है। जिसकी वजह से भाई-बंधु , दोस्त-मित्र और ईष्ट लोग सब जीते हैं।
One Liner sanskrit quotes on success
– सफलता पर संस्कृत श्लोक
“कार्य पुरुषकारेण लक्ष्यं सम्पद्यते।”
अर्थ – दृढ़ संकल्प या निश्चय करने से कार्य पूर्ण हो ही जाता है। और सफलता या लक्ष्य की प्राप्ति भी हो जाती है।
– सफलता पर संस्कृत श्लोक
“भवत: लक्ष्यं भवत: जीवनम् अस्ति।”
अर्थात- तुम्हारा लक्ष्य ही तुम्हारा जीवन है।
“कालवित् कार्यं साधयेत्।”
– श्लोक संग्रह
अर्थ- समय की कीमत समझने वाला, निश्चित ही अपना कार्य पूर्ण कर लेता है।
“आत्मायत्तौ वृद्धिविनाशौ।”
– श्लोक संग्रह
अर्थ- वृद्धि और विनाश अपने हाथ में है ।
– श्लोक संग्रह
“क्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधयेत् ।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम् ॥”
अर्थात- समय का एक अंश भी व्यर्थ बर्बाद को ज्ञान कहाँ? एक कण को भी तुच्छ समझने वाले के लिए धन कहाँ? अतः समय का एक व्यर्थ किया बिना ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। एक-एक कण बचाकर धन संग्रह करना चाहिए।
– श्लोक संग्रह
“स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम्।
परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते ।।”
अर्थात- जिसके जन्म से कुल की उन्नति होती है, उसका ही जन्म सफल होता है। अन्यथा तो इस परिवर्तनशील दुनिया में सब जन्म लेते हैं और सब मरते हैं।
– श्लोक संग्रह
“अकामां कामयानस्य शरीरमुपतप्यते।
इच्छतीं कामयानस्य प्रीतिर्भवति शोभना।।”
अर्थात- कार्य या रोजगार वो करना चाहिए जिसमें आपकी रुचि हो! यह एक आनंददायक अनुभव होता है। जिसमें आपकी रूचि नहीं है वो काम करोगे तो नुकसान ही झेलना पड़ेगा।
“सन्मार्गेण गन्तव्यं लक्ष्यं भवतु दूरंगम्।
– श्लोक संग्रह
स्वे कुटुम्बे सदा स्थेयं वैरं भवतु यादृशम्।।”
अर्थ- सही रास्ते से ही जाना चाहिए। लक्ष्य कितनी भी दूर क्यों न हो ! कितनी ही दुश्मनी क्यों न हो लेकिन अपने परिवार में ही रहना चाहिए।
– श्लोक संग्रह
“निन्दाभयात् मा गच्छतु यतः। ये निन्दन्ति लक्ष्यं प्राप्तमात्रेण मतम् परिवर्तते।।”
अर्थात- लक्ष्य प्राप्ति के वाद निंदा करने वालों की राय बदलने बदलने लगती है ! इसलिए निंदा के डर से लक्ष्य से नहीं भटकना चाहिए।
– श्लोक संग्रह
“वक्तृत्वं सुंदरं यस्य कीर्तिर्यस्य भुवस्तले ।
लक्ष्यं च सर्वकार्येषु स वै वकील इति स्मृतं ॥”
अर्थ- जिसमें ये तीन गन होते हैं -लक्ष्य, कीर्ति और वक्तृत्व। वह वकील कहलाता है।
– श्लोक संग्रह
“मद्भक्ता न विनश्यन्ति मद्भक्ता वीतकल्मषाः।
मद्भाक्तानां तु मानुष्ये सफलं जन्म पाण्डवा॥”
अर्थात- कृष्ण कहते हैं। हे पार्थ! जन्म उसका सफल होता है जो मेरा भक्त है। जो कोई भी पाप नहीं करता ! मेरे भक्तों का कभी भी विनाश नहीं होता।
– श्लोक संग्रह
“प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचै: प्रारभ्य विघ्नविहता विरमन्ति मध्या:। विघ्नै: पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमाना:
प्रारब्धमुत्तमजना न परित्यजन्ति।।”
अर्थ- महाराज भर्तृहरि कहते हैं, कि विघ्न के भय से निम्नकोटि के लोग कोई कार्य प्रारम्भ नहीं करते। मध्यम श्रेणी के लोग कार्यारम्भ तो कर देते हैं। लेकिन जरा सा विघ्नआने पर बीच में ही छोड़ बैठते हैं। उत्तम श्रेणी के लोग विघ्नों के बार-बार उपस्थित होने पर भी कार्य अधूरा नहीं छोड़ते। अर्थात् उसे पूर्ण करके ही छोड़ते हैं।
“यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः । तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।”
– श्लोक संग्रह
नोट- यदि अनेक प्रयासों के बाद भी सफलता नहीं मिल पा रही है! तो उपरोक्त श्लोक जो कि श्रीमद् भगवद्गीता का अंतिम श्लोक है। इसे 21 बार बोलकर घर से निकलें।
Last Words –
इस लेख में सफलता पर संस्कृत श्लोक संग्रहित थे। यह एक छोटा सा प्रयास था! सफलता के लिए परिश्रम तो आपको ही करना होगा। वाकी ईश्वर का आशीर्वाद तो सदैव है ही! कभी ये नहीं सोचना चाहिए यह हम नहीं कर सकते। आप सब कुछ कर सकते हैं! तब ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ने का अवसर प्राप्त होगा! जीवन पथ पर अग्रसर होते हुए आप नित नई सफलता प्राप्त करें! ऐसी मेरी कामना है।
प्रिय पाठक..! आप हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। ठीक वैसे ही आप के सुझाव भी हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं! सफलता पर संस्कृत श्लोक, एक छोटे से प्रयास पर अपने सुझाव अवश्य व्यक्त करें! आप अपने सुझाव ‘कमेंट’ के माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं।
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