इस अंक में सफलता पर प्रेरक प्रसंग 2024 संकलित हैं। सफलता का प्रथम और मुख्य सूत्र है -निरंतर प्रयास करते रहना। सफलता के रास्ते में गिरना-उठना तो लगा ही रहता है। बहुत सी समस्याएं भी आती हैं। आप प्रयास करते रहो , सफलता आपसे कुछ ही कदम दूर है।
सफलता का मार्ग आसान नहीं बल्कि कठिन होता है। मेहनत करने वाला एक दिन उसे प्राप्त कर ही लेता है। जब सफलता प्राप्त होती है। उस प्रसन्नता के समान कोई प्रसन्नता नहीं होती।
सफलता पर प्रेरक प्रसंग (सफलता का मार्ग)
एक समय की बात है, और्व नाम के ऋषी अपने गुरुकुल में शिक्षा दिया करते थे। एक रात में ऋषी ने अपने शिष्य विकल को आवाज दी! कुछ देर रोके रहने के बाद ऋषि ने विकल को जाने के लिए कहा। उसके बाद विकल कुटिया की ओर जाने लगा। तो उसने देखा कि सीढ़ियों पर भयंकर अंधेरा है। अंधेरा देखकर विकल घबरा गया। उसे बहुत डर लगा। अंधेरे और डर की वजह से वह सीढ़ियां नहीं उतर पा रहा था।
विकल ने ऋषि (अपने गुरु) को आवाज दी! कि गुरु जी अंधेरे की वजह से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है! मैं नीचे कैसे उतरूंगा! विकल की बात को सुनकर गुरुजी एक दिया जला लाए। और विकल को पकड़ा दिया।
विकल जैसे ही दिया हाथ में पकड़ कर प्रथम सीढ़ी उतरा ..! वैसे ही उसके गुरु जी ने फूंक मारकर दीया बुझा दिया। जैसे ही गुरु जी ने दिया बुझाया। वैसे ही चारों ओर अंधेरा फिर से हो गया। यह देख कर विकल बहुत परेशान हो गया। और बोला गुरुजी आपने अचानक दिया क्यों बुझा दिया..! अभी तो मैं प्रथम सीढ़ी पर ही खड़ा हूं, बाकी की सीढ़ियां अब मैं कैसे उतरूँ।
विकल की बात सुनकर गुरु जी बोले..! कि बेटा जब एक सीधी पर तुमने पैर रख ही लिया है। तो आगे की सीढ़ियां तो अपने आप मिलती जाएगी। किसी दूसरे की रोशनी से जो सहारा मिलता है। वह असली रोशनी तो नहीं है। असली रोशनी तो जब तुम सीढ़ियों से उतर रहे होगे, तब तुम्हाई अंदर स्वयं विकसित हो जाएगी।
गुरु जी बोले –
“वो रोशनी दीपक की रोशनी से बहुत उत्तम होगी। वह तुमको केवल सीढ़ियां ही नहीं उतारेगी। बल्कि तुम्हारे अंतर्मन की सारी आंखें खोल कर एक नई दिशा प्रदान करेगी। जो व्यक्ति अपनी रोशनी स्वयं निर्मित करना सीख जाता है। वह स्वयं के जीवन को सर्वश्रेष्ठ बना लेता है। इसलिए मैंने यह दीपक बुझाया। क्योंकि इसकी रोशनी से तुम सीढ़ियों से तो उतर सकते हो !लेकिन अंतर्मन की सीढ़ियां कैसे उतरोगे। गुरु जी की बात से विकल को नए ज्ञान की प्राप्ति हुई।”
सफल जीवन प्रेरक प्रसंग –
एक समय की बात है, और्व ऋषी विकल को पतंग उड़ाना सीखा रहे थे। तभी विकल ने पूछा कि गुरु जी सफल जीवन क्या होता है?
यह सुनकर गुरु जी स्वयं पतंग उड़ाने लगे । और विकल उनको देखने लगा।
तभी विकल बोला – गुरु जी धागे के कारण पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही। क्यों न धागे को काट दें और पतंग को स्वतंत्र कर दें।
विकल की बात सुनकर ऋषी ने धागा काट दिया। पहले तो पतंग ऊपर गई फिर दूर जाकर नीचे गिर गई।
तब ऋषि ने विकल को समझाया- “कि जीवन में जब हम ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं..! तब हमें लगने लगता है कि माँ-पिता परिवार और समाज हमको बांधे हुए है ! हम अधिक ऊंचाई पर पहुंच सकते हैं ये हमें बांधे हुए हैं।
सच में तो माता पिता और परिवार का ऐसा बंधन होता है ! जो हमें ऊंचाई पर बनाए रखता है। यदि हम इनसे मुक्त हो जाएंगे तो हमारा भी वही हश्र होगा..! जो धागा काट देने के बाद पतंग का हुआ।”
भावार्थ – सफलता की ऊंचाइयों पर रुके रहने के लिए माँ पिता और परिवार का बंधन भी आवश्यक है ! हमें रिश्ते नहीं तोड़ना चाहिए।
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