संघ एकल गीत संग्रह | Sangh geet mala

देश भक्ति की भावना से परिपूर्ण संघ एकल गीत संग्रह / संघ गीत माला संकलन प्रस्तुत है । इस संकलन में अनेक एकल गीतों का समावेश है । हमारी जन्मभूमि हमको प्राणप्रिय है। ऐसा मन में भाव होना चाहिए। विश्व के अनेकानेक देशों में सिर्फ हमारे देश को माता कहा जाता है।

संघ एकल गीत | संघ गीत माला
Sangh ekal geet mala

हमारा सौभाग्य ऐसा है कि हम जिस राष्ट्र में पैदा हुए वो अद्भुत राष्ट्र है। हम विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति हैं। ऐसा मन में भाव होना चाहिए और यही सत्य है। हमारी अपनी शौर्यगाथायें हैं। हमारे शरीर का एक – एक कटरा हमें अपने मातृभूमि के प्रति समर्पित होना चाहिए। और माँ भारती को परमवैभव तक पहुंचाना ही अंतिम लक्ष्य है हमारा। मर जायेंगे फिर जन्म लेंगे लेकिन अपनी जन्मभूमि को परमवैभव तक पहुंचाकर ही रहेंगे।

संघ एकल गीत | संघ गीता माला

1- स्वयं अब जागकर –

स्वयं अब जागकर हमको जगाना देश है अपना।

स्वयं अब जागकर हमको जगाना देश है अपना।।

हमारे देश की मिट्टी, हमें प्राणों से प्यारी है।

यहीं के अन्न , जल ,वायु , परम श्रद्धा हमारी है।।

स्वभाषा है हमें प्यारी, औ प्यारा देश है अपना ।

जगाना देश है अपना…………….. ।।

नहीं है अब समय कोई, गहन निंद्रा में सोने का।

समय है एक होने का, न मतभेदों में खोने का।।

बढ़े बल राष्ट्र का जिससे, वो करना मेल है अपना।

जगाना देश है अपना…………………. ।।

जगाने राष्ट्र की भक्ति, उत्तम कार्य करने का।

सम्मुत राष्ट्र हो भारत, यही उद्देश्य है अपना ।।

जगाना देश है अपना…………. ।।

2- देश हमें देता है..!

देश हमें देता है सब कुछ , हम भी तो कुछ देना सीखें 

सूरज हमें रोशनी देता , हवा नया जीवन देती है ! 

भूख मिटने को हम सबकी , धरती पर होती है खेती  !!

औरों का भी हित हो जिसमें , हम ऐसा कुछ करना सीखें !!1!!

गरमी की तपती दुपहर में , पेड़ सदा देते हैं छाया !

सुमन सुगंध सदा देते हैं , हम सबको फूलों की माला !

त्यागी तरुओं के जीवन से , हम परहित कुछ करना सीखें !!2!!

जो अनपढ़ हैं उन्हें पढ़ाएँ , जो चुप हैं उनको वाणी दें !

पिछड़ गए जो उन्हें बढ़ाएँ , समरसता का भाव जगाएँ !

हम मेहनत के दीप जलाकर , नया उजाला करना सीखें !!3!!
संघ एकल गीत संकलन

3- बनें हम हिन्द के..

बने हम हिंदके योगी, धरेंगे ध्यान भारतका !
उठा कर धर्मका झंडा , करें उत्थान भारत का !!

गले में शीलकी माला, पहनकर ज्ञान की कफनी !
उठाकर त्याग का झंडा, रखेंगे मान भारत का !!1!!

बनें हम हिंदके योगी, धरेंगे ध्यान भारत का !
उठाकर धर्म का झंडा, करें उत्थान भारत का !!2!!

जलाकर कष्ट की होली, उठाकर इष्ट की झोली !
जमा कर संत की टोली, करें उत्थान भारत का !!3!!

बनें हम हिंद के योगी, धरेंगे ध्यान भारतका !
उठाकर धर्म का झंडा, करें उत्थान भारत का !!4!!

स्वरों में तान भारत की, है मन में आन भारत की !
नसों में रक्त भारत का, नयन में मूर्ति भारतकी !!5!!

बनें हम हिंद के योगी, धरेंगे ध्यान भारतका !
उठा कर धर्म का झंडा, करेंउत्थान भारत का !!6!!

हमारे जन्मका सार्थक, हमारे मोक्ष का कारन !
हमारे स्वर्ग का साधन, यही उत्थान भारत का !!7!!

4- राष्ट्र की जय..!

राष्ट्र की जय चेतना का गान वंदे मातरम्
राष्ट्रभक्ति प्रेरणा का गान वंदे मातरम्

बंसी के बहते स्वरोंका प्राण वंदे मातरम्
झल्लरी झनकार झनके नाद वंदे मातरम्
शंख के संघोष का संदेश वंदे मातरम् !!1!!

सृष्टी बीज मंत्र का है, मर्म वंदे मातरम्
राम के वनवास का है, काव्य वंदे मातरम्
दिव्य गीता ज्ञान का संगीत वंदे मातरम् !!2!!

हल्दी घाटी के कणों में व्याप्त वंदे मातरम्
दिव्य जौहर ज्वाल का है, तेज वंदे मातरम्
वीरों के बलिदान का हुंकार वंदे मातरम् !!3!!

जन-जन के हर कंठ का हो गान वंदे मातरम्
अरिदल थर-थर कांपे सुनकर नाद वंदे मातरम्
वीर पुत्रों की अमर ललकार वंदे मातरम् !!4!!

5- देश-प्रेम का मूल्य…!

देश प्रेम का मूल्य प्राण हैं , देखे कौन चुकाता है !
देखें कौन – सुमन शैय्या तज कंटक अपनाता है!!

सकल मोह ममता को तज कर माता जिसको प्यारी हो !
शत्रु का हिय छेदन हेतु जिसकी तेज कटारी हो!!
मातृभूमि का राज्य तज जो बन चूका भिखारी हो !

अपने तन -मन- धन जीवन का स्वयं पूर्ण अधिकारी हो!!
आज उसी के लिए संघ ये भुज अपने फैलाता है!

देखें कौन -सुमन शैय्या तज कंटक अपनाता है!

कष्ट कंटको में पड़ करके जीवन पट झीने होंगे !!
काल कूट के विषमय प्याले प्रेम सहित पीने होंगे!
अत्याचारों की आंधी ने कोटि सुमन छीने होंगे!
एक तरफ संगीने होंगी एक तरफ सीने होंगे!!
वही वीर अब बढे जिसे हँस – हँस कर मरना आता है!

देखे कौन – सुमन शैय्या तज कंटक अपनाता है!!

6- कंटक पथ अपनाना..!

कंटक पथ अपनाना सीखें!
जीएं देश के लिए देश हित
तिल-तिल कर मर जाना सीखें!!

राग – रंग की नव तरंग में माँ की याद भुलाते आये!
भूल गये अपने वैभव को यश औरों का गाते आये!
असिधारा का व्रत अपनाकर बूँद-बूँद ढल जाना सीखें!
कंटक पथ अपनाना सीखें !!1!!

बढ़े चलें निज ध्येय बिन्दु तक जग का सुख ऐश्वर्य भुलाकर!
दूर करें पथ का अँधियारा निज जीवन का दीप जलाकर!
अडिग रहे जो झंझा में भी ऐसी ज्योति जगाना सीखें!!2!!

अपमानों की याद जगाकर सुनें करुण माता का क्रन्दन !
कोटि-कोटि कण्टों से गूँजे आज पुनः प्रलयंकर गर्जन !
जननी के पावन चरणों में जीवन पुष्प चढ़ाना सीखें!
कंटक पथ अपनाना सीखें !!3!!

7- भारत देश हमारा –

भारत देश हमारा , हो राम सिया गोविन्द प्यारे !
है प्राणों से प्यारा , हो राम सिया गोविन्द प्यारे !!

गंगा यहीं है, यमुना यहीं है, सरयू की पावन धारा!
हो राम सिया गोविन्द प्यारे !!1!!

राम यहीं हैं , श्याम यहीं हैं , शंकर का नाम अति प्यारा
हो राम सिया गोविन्द प्यारे !!2!!

काशी यहीं है , मथुरा यहीं है , अयोध्या धाम हमारा
हो राम सिया गोविन्द प्यारे !!3!!

शक्ति यहीं है , भक्ति यहीं है , धर्मं का है यह द्वारा !
हो राम सिया गोविन्द प्यारे II४II

हम सब है भाई – भाई हम सब की है भारत माई !
संगठन कर्म हमारा – हो राम सिया गोविन्द प्यारे !!5!!

8- तुम वीर शिवा के…!

तुम वीर शिवा के वंशज हो
फिर रोष तुम्हारा कहाँ गया!
बोलो राणा की संतानों
वह जोश तुम्हारा कहाँ गया !!

ओ वीर तुम्हारे कदमों से
सारी धरती थर्राती थी!
सागर का दिल हिल जाता था
पर्वत की धड़कती छाती थी !
अब चाल में सुस्ती कैसी है
क्यों पाँव हैं डगमग डोल रहे!!
कुछ करके नहीं दिखाते हो
केवल अब मुँह से बोल रहे!!
दुश्मन को मार गिराने का
आक्रोश तुम्हारा कहाँ गया !!1!!

जाकर देखो सीमाओं पर
जो आज कुठाराघात हुआ !
जाकर देखो भारत माँ के
माथे पर जो आघात हुआ !
गर अब भी खून न खौला तो
गर अब भी जाग न पाए हो!
मुझको विश्वास नहीं आता
तुम भारत माँ के जाए हो!
दुनिया को दिव्य दृष्टि देते
वह होश तुम्हारा कहाँ गया !!2!!

आंखों की मस्ती दूर करो
यह संकट में कैसा प्रमाद !
टक्कर से तोड़ो रोडों को
अब बंद करो झूठा प्रमाद!
गर तुमको कुछ करना ही है
तो फिर दुश्मन का अंत करो !!
या तो स्वदेश पर मिट जाओ
या भारत माँ के लिए जिओ !!
दुश्मन की फौज दहल उठे
वह रौब तुम्हारा कहाँ गया !!3!!

हे वीरों तुम हो महाकाल
काल जो आये डरना क्या !
जब चला सिपाही लड़ने को
तो जीना क्या और मरना क्या !
मर मिट भी गए इतिहासों में
तो नाम अमर हो जायेगा !
जीवित रहने पर हर मानव
श्रद्धा से शीश झुकायेगा !
माटी का हर कण पूछ रहा
वह होश तुम्हारा कहाँ गया !!4!!


9- माँ भारती की….!

माँ भारती की स्वर्णिम माटी हमें है चंदन !
माटी हमारी पूजा माटी तुम्हें है वंदन !!

हम धन्य हैं जो जन्मे इस पावनी धरा पर!
सुखदायिनी धरा पर, वरदायिनी धरा पर
कभी राम इसमें खेले कभी खेले नन्दनन्दन !!

माटी हमारी पूजा ….
मेरे अवध की सरयू श्रीराम को बुलाती !
मथुरा में मातु यमुना कान्हा के गीत गाती !!
रुद्राभिषेक करती काशी में गंगा पावन !!

माटी हमारी पूजा…..
संकट में माँ….. भारती गो रुप धारती !
गोपाल की शरण में जाकर पुकारती !!
गोवंश हित करेगा गोभक्त हर समर्पण!

माटी हमारी पूजा ….
माँ भारती के सुत हैं सारे समाज बंधु
सब वर्ग बंधु , हिन्दु समाज सिन्धु
एकात्मता के बल पर समरस यहाँ है जीवन !!

माटी हमारी पूजा…!

10- जिस दिन सोया….!

जिस दिन सोया राष्ट्र जगेगा !
दिस-दिस फैला तमस हटेगा!!

भारत विश्व बंधु का गायक!
भारत मानवता का नायक!!
सदियों से था , युगों रहेगा
दिस  दिस फैला तमस हटेगा !
जिस दिन सोया राष्ट्र जगेगा !
दिस दिस फैला तमस हटेगा !!

वैभवशाली जब हम होंगे !
नहीं किसी से हम कम होंगे !!
क्यों ना फिर गंतव्य मिलेगा !
दिस – दिस फैला तमस हटेगा !!
जिस दिन सोया राष्ट्र जगेगा !
दिस दिस फैला तमस हटेगा !!

हम सबकी तो राह एक है !
कोटि हृदय और भाव एक हैं ,
बात हमारी विश्व सुनेगा !!
दिस दिस फैला तमस हटेगा!
जिस दिन सोया राष्ट्र जगेगा !
दिस दिस फैला तमस हटेगा !!

निष्कर्ष –

इस अंक में आपने राष्भक्ति की भावना से पूर्ण एकल गीतों का छोटा सा संग्रह आपने पढ़ा। यह एक छोटा सा प्रयास था कुछ एकल गीतों को आपके साथ साझा करने का। अन्ततः हमें अपने देश की जल, वायु, नदियों, पेड़ों एवं कण-कण से प्रेम है।

प्रिय पाठक..! आप हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। ठीक वैसे ही आपके सुझाव भी हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। इस छोटे से संग्रह के बारे में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप अपने सुझाव हमें ‘कमेंट’ के माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं।

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