दिव्य प्रेम के प्रतीक राधाकृष्ण पर आधारित श्री राधा कृष्ण प्रेम पर के दोहे संकलन प्रस्तुत है! राधा कृष्ण का रिश्ता कोई रोमांटिक रिश्ता या स्त्री पुरुष का संयोजन नहीं है! यह रिश्ता दिव्य प्रेम की तलाश करने वाली आत्माओं का प्रतीक है! राधाकृष्ण के रिश्ते को दिव्य प्रेम का उच्चतम रूप माना जाता है! कृष्ण शुद्ध प्रेम के अवतार थे। कृष्ण और गोपियों के बीच सम्वन्ध आधुनिक रिश्तों की तरह नहीं! बल्कि उच्चतम प्रेम की भावना है। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण तक पहुचने का माध्यम केवल राधा जी (भक्ति और प्रेम) ही है।

राधा और कृष्ण की प्रथम मुलाकात संकेत नामक जगह पर हुई थी! यह स्थान नंदगांव और वरसाना के बीच स्थित है! यहीं पर किशोरी जी (राधारानी) और मुरलीधर कृष्ण की प्रेम कहानी की शुरुआत हुई थी। इस स्थान पर प्रति बर्ष भाद्र शुक्ल अष्टमी से चतुर्दशी तक राधाकृष्ण के प्रेम को याद किया जाता एवं! इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
आप पर और आपके परिवार पर श्री वृषभानु नंदिनी, कृति कुमारी, नित्य निकुंज विहारिणी, राज राजेश्वरी, लाडली श्री राधारानी जी की कृपा सदैव बनी रहे। इन्हीं शुभकामनाएं के साथ ये राधा कृष्ण प्रेम पर के दोहे प्रस्तुत हैं।
राधा कृष्ण प्रेम पर के दोहे-
– श्री जी के दोहे
“फूट चुकी हैं किरणें सूरज की हो गई है भोर
ढूँढने लगी है राधा अपने कृष्ण को चारों ओर।”
“प्रेम की सीमा अनन्त है और उसे कोई बांध भी नहीं सकता है। समस्त संसार श्रीकृष्ण जी के साथ राधा जी का नाम लेता है रुक्मिणी का नहीं।”
– प्रेम दोहे
– प्रेम दोहे
“राधा कृष्ण का मिलन तो एक बहाना था,
दुनिया को सही मतलब प्रेम का समझाना था।”
– प्रेम दोहे
“तू बन जा मेरी राधा तो मैं कान्हा हो जाऊं
तेरे निर्विकार निश्चल स्नेह में सुदामा हो जाऊं।”
– प्रेम दोहे
“तुझमे मेरा अक्स मुझसे भी ज्यादा है
मै तेरा कृष्ण हूँ और तू मेरी राधा है।”
– प्रेम दोहे
“यदि स्त्री के प्रेम में ज़िद न होती,
तो मंदिर में कृष्ण के बाजू में राधा न होती ।”
– प्रेम दोहे
“मैं कुछ तुझमे, तू कुछ मुझमे आधा सी
जैसे कि मैं कृष्ण, और तू मेरी राधा सी!”
– प्रेम दोहे
“तू है मेरे मथुरा काशी, तू है मेरी ब्रजधाम
तेरे प्यार में मैं बन गई राधा, तू है मेरा घनश्याम।”
– प्रेम दोहे
“प्रेम जिद्द से नही भाग्य से मिलता है, वरना पूरी
दुनिया का मालिक,
अपनी राधा के लिए नही तरसता।”
– प्रेम दोहे
“राधा जैसी तड़प है दिल में,
कृष्ण के भांती प्रेम जता पाओगे क्या।”
“सीता जैसी वन का चयन कर लू मैं,
– प्रेम दोहे
राम जैसे इन रावणों से बचा पाओगे क्या?”
“मधुबन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले कभी मुस्काए कभी छेड़े राधा कैसे ना जले राधा कैसे ना जले।”
– प्रेम दोहे
– प्रेम दोहे
“कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी, जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी।”
– प्रेम दोहे
“माना की जग की नजरों में
उनका प्रेम अधूरा आधा है।
पर हर मन्दिर हर कण में
कृष्ण के संग बस राधा है ।।”
– प्रेम दोहे
“धैर्य एवं त्याग समझना हो तो रूक्मिणी का समझो। जो श्रीकृष्ण से विवाहोपरांत अर्द्धांगिनी बनने के पश्चात् भी अपने पति परमेश्वर के साथ पराई स्त्री का नाम जुड़ता हुआ देख उन्हें ईश्वर मान पूजती रही…!”
– प्रेम दोहे
“एक बार सुदर्शन चक्र हाथ में आया, दोबारा फिर बांसुरी के हो नहीं पाए..#नंद-नंदन.. #जयश्रीकृष्णा..!”

– श्री जी के दोहे
“मैं कृष्ण सा बन जाऊ तू राधा सी बन जा,
मैं तुझ में रम जाऊ तू मुझ में रम जा
बन न सके कोई प्रीत तो क्या प्रेम प्रतीक बन जा
की मैं तुझ में रम जाऊ तू मुझ में रम जा …!”
– श्री जी के दोहे
“विरह तो अवतार रूप में नारायण को भी देखने पड़े ! चाहे राम का जनक सुता से हो या फिर कृष्ण का राधा से ! ब्रज से.. बाँसुरी से…. प्रेम से ।”
“हम भी मिले थे कभी जमुना किनारे, राधा कृष्ण थे कभी नाम हमारे”
– श्री जी के दोहे
“मेरे संस्कार शिव पार्वती और राधा कृष्ण
– श्री जी के दोहे
वाले है ।
वरना जहां तू गिनती भूल जाए उतने मेरे
दीवाने है।”
– श्री जी के दोहे
“प्रेम में कृष्ण बनना बेहद आसान है, सबसे मुश्किल है, राधा बनके कृष्ण को रुक्मिणी का होते हुए देखना।”
– श्री जी के दोहे
“प्यार मे कितनी बाधा देखी,
फिर भी कृष्ण के साथ राधा देखी।”
– श्री जी के दोहे
“चारों तरफ फैल रही हैं,
इनके प्यार की खुशबू थोड़ी-थोड़ी
कितनी प्यारी लग रही हैं,
साँवरे-गोरी की यह जोड़ी।”
– श्री जी के दोहे
“हर एक रिश्ते की क्या है अहमियत ये कृष्ण से सीखो।
सुदामा, रुक्मणी, बलदेव, राधा, सब मिसालें हैं।।”
– श्री जी के दोहे
“यदि प्रेम का अर्थ किसी को प्राप्त करना होता।
तो हर हृदय मे राधा कृष्ण का नाम नहीं होता।।”
– श्री जी के दोहे
“पवित्र था प्रेम उनका, कोई नहीं कर सकता प्रेम राधाकृष्ण सा।
वो लोग क्या जाने वियोग जो दो दिन में मोहब्बत बदल लेते हैं।।”
– श्री जी के दोहे
“कृष्ण जैसे प्रेम की, परिभाषा कौन लिखेगा. सैंकड़ों दीवानी, गोपियों के बीच। ह्रदय में केवल राधा, नाम कौन रखेगा।”
“बुला लो कन्हैया अपने वृंदावन, नहीं तो मैं कोर्ट में अपील करूँगा। हार जाओगे तुम कान्हा क्योंकि मैं राधा रानी को वकील करूंगा।”
– श्री जी के दोहे
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निष्कर्ष –
इस अंक में आपने युगल प्रेम के दोहे पढ़े। दुनिया के सबसे पवित्र प्रेमियों को प्रणाम आप सब को प्रणाम! श्री किशोरी जी एवं मुरलीधर श्री कृष्ण चंद्र जी से प्रार्थना है कि अपनी कृपा सदैव हम सब पर बनाये रखें।
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