माना कि जीवन समस्याओं से भरा है। लेकिन मुस्कुराते रहने में क्या समस्या है। इस अंक में जीवन पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित प्रस्तुत हैं। जीवन में अनेक समस्याएं होती हैं। लेकिन जीवन समस्या नहीं है। जीवन को समझना कठिन है। कठिनाइयों को दूर करना कठिन नहीं है।
सत्य, दया, धर्म, और ईमान एवं स्वाभिमान यदि सुरक्षित है। फिर तो जीवन में आनंद ही आनंद है। अनेकों धर्म शास्त्रों में जीवन की विभिन्न व्याख्याएं की गई हैं। उन्हीं ग्रंथों के कुछ उद्धरण इस लेख में समाहित हैं।
जीवन पर संस्कृत श्लोक
“जीवनं सुलभं नास्ति किन्तु स्मितस्य हानिः नास्ति इति सहमतः।”
– श्लोक सरिता
अर्थ- जीवन आसान तो नहीं है। लेकिन मुस्कुराने में किसी भी प्रकार का नुकसान भी नहीं है।
“उत्तमं जीवनं जीवितुं प्रयतस्व, क्षुद्रभावनाभ्यः उपरि उत्तिष्ठितुं प्रयतस्व।”
– सं.स.
अर्थात- अत्यंत छोटी या तुच्छ सोच से ऊपर उठकर उच्च स्तर का जीवन जीने का प्रयास कीजिए ।
“जीवनं समाधानं कर्तु समस्या नास्ती,
– श्लोक सरिता
अपितु अनुभवितब्यं वास्तबिकता अस्ति।”
अर्थ – जीवन अनुभवों की सच्चाई है। न कि हल करने वाली कोई समस्या।
“सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु।
– सं.स.
सर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु।।”
अर्थ- सब की कठिनाइयां दूर हों, सबका कल्याण हो। सब की मनोकामना पूर्ण हो सबका जीवन आनंदमय हो।
“दास्यन्ति, सकारात्मकविचाराः भवन्तं उत्थापयिष्यन्ति, नकारात्मकविचाराः च भवन्तं अधः आनयिष्यन्ति।”
– सं.स.
अर्थात- आपके विचार ही जीवन की दिशा तय करेंगे। सकारात्मकता उठाएगी और नकारात्मकता गिराएगी।
“शान्तं तुष्टम् पवित्रं च सानन्दमिति तत्वतः।
– सं.स.
जीवनं जीवनं प्राहुरभार्तीयसुसंस्कृतौः।।”
अर्थ- भारत की संस्कृति में उत्तम जीवन उसको माना गया है। जो पवित्र, शांतचित्त एवं संतुष्ट हो तथा आनंदमय हो।
“स जीवति गुणा यस्य धर्मो यस्य च जीवति।गुणधर्मविहीनस्य जीवनं निष्प्रयोजनम्॥”
– सं.स.
अर्थात- जिस व्यक्ति के धर्म और गुण जीवित हैं। वास्तविकता में वही जीवन जी रहा है। इनके बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है।
“जीवनस्य महत्तमः उपयोगः अस्ति यत् तस्य निवेशः किमपि कार्ये भवति यत् स्थास्यति।”
– सं.स.
अर्थ – पूर्व में तुमने चाहे जैसे भी कर्म किये हों। लेकिन वर्तमान के कर्म तो बात में ही होते हैं।
“विनानुरागं हि प्रणयिनः प्रमदाया जीवनं व्यर्थमेव खलु।”
– सं.स.
अर्थात- प्रेमिका या प्रेमी का जीवन तब तक व्यर्थ ही है। जब तक प्रेम नहीं है।
“पुण्यो गन्धः पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ ।
– सं.स.
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु ॥”
अर्थ- कृष्ण कहते हैं, मैं पृथ्वी में पवित्र गंध और अग्नि में पवित्र तेज हूँ तथा सम्पूर्ण भूतों में उनका जीवन हूँ और तपस्वियों में तप हूँ।
“ॐ यौवनं जीवनं चित्तं छाया लक्ष्मीश्च स्वामिता।
– सं.स.
चंचलानि षडैतानि ज्ञात्वा धर्मरतो भवेत्॥”
अर्थ- यौवन,जीवन,चित्त,छाया,धन और प्रभुता - ये छह वस्तुएँ सदैव चंचल हैं,स्थायी नहीं है, ऐसा समझकर धर्म के प्रति प्रेम होना चाहिए। अत: ईश्वर का सतत् स्मरण करें, धर्म परायण बने।
“यस्य जीवने ध्येयः नास्ति, यस्य जीवनस्य किमपि लक्ष्यं नास्ति, तस्य जीवनं व्यर्थमस्ति-स्वामी विवेकानंद:।”
– प्रोफेसर राइट
अर्थ - “स्वामी विवेकानंद का एक ऐसा व्यक्तित्व है कि अगर इनके व्यक्तित्व की तुलना विवि के समस्त प्रोफेसरों के ज्ञान को एकत्र करके की जाए, तब भी अधिक ज्ञानी सिद्ध होंगे.” -प्रोफ़ेसर राइट।
– सं.स.
“स्फुरन्ति सीकरा यस्मादानन्दस्याम्बरेऽवनौ।
सर्वेषां जीवनं तस्मै ब्रह्मानन्दात्मने नमः।।”
अर्थ- जिनसे स्वर्ग और भूतल आदि सभी लोकों में आनन्दरूपी जलके कण स्फुरित होते हैं-प्राणियोंके हैं,उन पूर्ण चिन्मय आनन्दके महासागररूप परब्रह्म परमात्माको नमस्कार है।
“किमर्थं जीवनं क्लिष्टं कठिनं कर्तुमर्हसि ।
– श्लोक सरिता
सारल्यमेव लाभाय त्यज क्लेशं सुखं धर ।।”
“आशासे यत् नववर्षं भवतु मङ्गलकरम् अद्भुतकरञ्च।
– श्लोक सरिता
जीवनस्य सकलकामनासिद्धिरस्तु।”
अर्थ- आशा करता हूँ। कि नववर्ष आपके लिए सुखमय और आश्चर्यजनक होगा। आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। आप जो चाहते हैं। वही मिलेगा।
Conclusion –
आदियोगी के इस अंक में जीवन पर संस्कृत श्लोक संकलित थे। यह एक छोटा सा प्रयास है। संस्कृत श्लोकों की अनेक श्रंखलाएँ इस पोर्टल पर उपलब्ध हैं। लगभग सभी श्रंखलाएँ हिंदी अर्थ सहित हैं।
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