हिंदुत्व का इतिहास बहुत गौरवशाली इतिहास रहा। ये विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति है। सनातन संस्कृति का इतिहास पराजय का नहीं पराक्रम का है। हिंदू संस्कृति कहती है, “वसुधैव कुटुम्बकम” अर्थात सम्पूर्ण विश्वास ही हमारा परिवार है। आदियोगी के इस अंक में कट्टर हिन्दू श्लोक हिंदी अर्थ सहित प्रस्तुत हैं।
सनातन संस्कृति ही विश्व की एकमात्र सभ्यता है, जो पूरे संसार को अपना परिवार मानती है। धर्म और विज्ञान का योग इस संस्कृति में पूर्ण रूप से मिलता है।
कट्टर हिन्दू श्लोक
“धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥”
– हिन्दू श्लोक
अर्थात- जो स्वधर्म (हिंदू) विमुख होकर धर्म का विनाश कर देता है! उस का विनाश धर्म कर देता है। जो धर्म का संरक्षणकरता है, धर्म उसका संरक्षण करता है । इसलिए मरा हुआ धर्म कहीं हमें न मार डाले।
“अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:।”
– हिन्दू श्लोक
अर्थात- अहिंसा ही परम धर्म है! धर्मरक्षा के लिए कि गयी धर्म हिंसा उससे उत्तम धर्म है!
“धर्मो रक्षति रक्षित: !”
– हिन्दू श्लोक
अर्थ – आप धर्म की रक्षा करें..! धर्म आपकी रक्षा करेगा!
“राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, व्रतम्, यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च।।”
– श्लोक संग्रह
अर्थात- राष्ट्र रक्षा से बड़ा कोई कर्म नहीं, कोई व्रत नहीं, कोई यज्ञ नहीं।
“यतो धर्मस्ततो जयः।”
– धर्म श्लोक
अर्थ- जहां धर्म है, वहां जीत है।
“ब्राह्में मुहूर्ते बुद्धयेत,धर्मार्थौ चानुचिंतयेत।”
– श्लोक संग्रह
अर्थात- प्रातः काल उठकर स्वधर्म, अर्थ के लिए चिंता करना चाहिए।
“सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते ।
– श्लोक संग्रह
मृजया रक्ष्यते रूपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते।।”
अर्थ – सत्य से धर्म की रक्षा होती है। योग से विद्या की रक्षा होती है। सफाई से रूप की रक्षा होती है। सदाचार से कुल की रक्षा होती है।
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हिन्दू धर्म रक्षा श्लोक
“हिन्दव: सोदरा: सर्वे, न हिंदू पतितो भवेत् ।
मम दीक्षा धर्म रक्षा, मम मंत्र समानताः।।”अर्थात – सब हिंदू भारत माँ की संतान होने से सहोदर हैं।भाई हैं, इसलिए कोई हिंदू अछूत नहीं हो सकता। हमने ‘समानता’ का मंत्र लेकर ‘धर्म रक्षा’ की दीक्षा ली है।
– श्लोक गंगा
“परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
– श्रीमद्भागवतगीता
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥”
अर्थ – भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा..! कि हे अर्जुन.! साधू और संतों की रक्षा के लिये, पापियों के विनाश के लिये और धर्म की स्थापना हेतु मैं युगों-युगों से पृथ्वी पर जन्म लेता आया हूँ।
“अकृत्यं नैव कृत्यं स्यात् प्राणत्यागेsपि समुपस्थिते।
– सनातन श्लोक
न च कृत्यं परित्याज्यम् एष धर्मः सनातनः।।”
अर्थ- प्राण संकट में होने पर भी करणीय कर्म (धर्मरक्षा) करना चाहिए और करणीय कर्म का त्याग नहीं करना चाहिए, यह सनातन धर्म है।
“सुखस्य मूलं धर्म:। धर्मस्य मूलं अर्थ:। अर्थस्य मूलं राज्स्य। राज्स्य मूलं इन्द्रियजय:।”
– श्लोक संग्रह
अर्थ- सुख की जड़ धर्म है। धर्म की जड़ अर्थ है। अर्थ की जड़ राज्य है। राज्य की जड़ इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करना।
“लोकरझ्जनमेवात्र राज्ञां धर्मः सनातनः।”
– श्लोक संग्रह
अर्थात- प्रजा को सुखी रखना यही राजा का सत्यसनातन धर्म है ।
“अद्रोहः सर्वभूतेषु कर्मणा मनसा गिरा।
– हिन्दू श्लोक
अनुग्रहश्च दानं च सतां धर्मः सनातनः।।”
अर्थ – मन, वाणी और कर्म से प्राणियों के प्रति सद्भावना, सब पर कृपा और दान यही साधु पुरुषों का सनातन-धर्म है |
“सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियं। प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः॥”
– सनातन श्लोक
अर्थात- सच बोलते रहना चाहिए, मीठा बोलते रहें लेकिन अप्रिय सच नहीं बोलना चाहिए और प्रिय झूठ नहीं बोलना चाहिए, यही सत्य सनातन धर्म की परम्परा है।
कट्टर हिन्दू का अर्थ
कट्टर हिन्दू का अर्थ होता है, अपने धर्म, राष्ट्र एवं संस्कृति के लिए समर्पित होना एवं रक्षा करना। कट्टर हिन्दू का अर्थ यह बिल्कुल नहीं होता कि किसी को बिना कारण चोट पहुंचना। अपने धर्म का आचरण करना, अपने धर्म के प्रति पक्की और सच्ची आस्था रखना ही कट्टर हिंदुत्व है।
निष्कर्ष
यह लेख में ‘कट्टर हिन्दू श्लोक’ का छोटा सा संग्रह था। यह एक छोटा सा प्रयास था! क्योंकि हिंदुत्व पर लिखे गए श्लोक अनंत हैं। कोई यदि समस्त श्लोकों को याद करना चाहे या लिखना चाहे! तो यह असंभव है। हिन्दू धर्म में अनेक ग्रंथ हैं और मुख्यतः सभी ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं! सभी ग्रंथों में श्लोक हैं। अनेक ऋषि- मुनियों ने एवं अनेक विद्वानों ने अनेक शास्त्रों की रचना की! इसलिए समस्त श्लोक संकलित करना तो मुझे नहीं लगता सम्भव भी हैं।
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