इस अंक में आशावादी विचार, कविता, प्रसंग एवं शायरी प्रस्तुत हैं। आप जब सुबह उठते हैं। आपके पास दो विकल्प होते हैं। सकारात्मक रहें या नकारात्मक..! आशावादी रहें या निराशावादी। निराशावादी होने से आशावादी होना कई गुना अच्छा होता है।
यह एक द्रष्टिकोण की बात है । आशावादी होना सफलता की सीढ़ी का पहला चरण है। आशा वादी होना एक विश्वास है। जो आपको हमेशा उपलब्धि की ओर ले जाता है।
आशावादी विचार
– आशावादी विचार
“उम्मीदें तैरती रहती हैं, कश्तियाँ डूब जाती हैं! कुछ घर सलामत रहते हैं, आँधियाँ जब भी आती है..!”
“बचा ले जो हर तूफ़ा से, उसे ‘आस’ कहते हैं! बड़ा मज़बूत है ये धागा, जिसे ‘विश्वास’कहते है…!!”
– आशावादी सुविचार
– सुविचार
“सफर कल भी था..!
सफर आज भी जारी है,
माना कुछ उम्मीदें टूटी है..!
लेकिन..कुछ ख्वाहिशें अभी भी बाकी हैं..!”
– सुविचार
“बीते को रोने के बजाय आगे का देखिए..! जो हो चुका वो तो हो चुका..! उसे तो बदला नहीं जा सकता। इसलिए जरूरी यही है, आगे बढ़ा जाए और आगे की चीजों को संभाला जाए..!”
– Hope thoughts
“हर सूर्यास्त हमारा एक दिन कम तो ज़रूर करता है ..! लेकिन हर सूर्योदय हमारे जीवन में आशा की एक नई किरण लेकर आता है..!!”
“अल्फ़ाज़ो का क्या है, ये तो कुछ ही शब्दों से बंधे होते हैं..
– Hope thoughts
अहमियत तो जज्बातों की है, जो एक अनजानी को जिंदगी बना देते हैं..!
आशा चाहे जितनी भी कम हो, निराशा से बेहतर होती है!!”
– Hope thoughts
“एक निराशावादी को हर अवसर में कठिनाई दिखाई देती है। एक आशावादी को हर कठिनाई में अवसर दिखाई देता है।।”
– Hope thoughts
“जब सब उम्मीदें टूट जाती हैं। तो मनुष्य ओर अधिक धार्मिक हो जाता है..! नैतिक हो जाता , पाप-पुण्य को अधिक महत्व देने लगता है!!”
– Hope thoughts
“ख्वाब भले टूटते रहें, उम्मीदें फिर भी जिंदा हों।
हौंसला अपना ऐसा रखें, जहाँ मुश्किलें भी शर्मिंदा हों..!”
इस भाग में कुछ आशावादी विचार प्रस्तुत थे। जब कोई वाक्य सुविचार ऐसे ही नहीं बनता है। वो किसी न किसी का वास्तविक अनुभव अवश्य होता है।
आशावादी कविता, विचार ,प्रसंग –
(कविता)
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है, नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है। उसका ज्यों जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गयी तो क्या है, खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो, समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर, केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी, पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों ! चाल बदलकर जाने वालों !
चन्द खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है।
लाखों बार गगरियाँ फूटीं, शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं, चहल-पहल वो ही है तट पर!
तम की उमर बढ़ाने वालों..! लौ की आयु घटाने वालों
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है!
लूट लिया माली ने उपवन, लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,
तूफानों तक ने छेड़ा पर, खिड़की बन्द न हुई धूल की !
नफरत गले लगाने वालों ! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से, दर्पन नहीं मरा करता है..!
उपरोक्त कविता कविराज गोपाल दास ‘नीरज’ जी की कृति है। कवि ने कविता का भाव यदि आप समझेंगे तो पाएंगे कि हम व्यर्थ ही निराश होते हैं।
आशावादी शायरी –
“मैं किसी हाल में मायूस नहीं हो सकता,
– आशावादी शायरी
ज़ुल्मतें लाख हों उम्मीद-ए-सहर रखता हूँ…!!”
– आशावादी शायरी
“हालात कह रहे है की अब मुलाक़ात नहीं होगी,
उम्मीद कह रही है जरा इन्तेज़ार कर ले..!!”
– आशावादी शायरी
“दिल ना-उम्मीद तो नहीं, बस नाकाम ही तो हैं।
लम्बी है ग़म कि शाम, मगर शाम ही तो है।।”
– शायरी संग्रह
“जिसके पास उम्मीद है वह हार कर भी नहीं हारता..!”
– शायरी संग्रह
“अगर कोई आपसे उम्मीद करता है। तो ये उसकी मजबूरी नहीं आपके साथ लगाव और विश्वास है..!”
– शायरी संग्रह
“दुनिया उम्मीद तोड़ सकती है, पर दुनिया बनाने वाला नहीं..!”
– शायरी संग्रह
“उम्मीद मत छोड़ो, जब आपको लगेगा कि अब कुछ नहीं हो सकता, तभी चमत्कार होगा..!”
– शायरी संग्रह
“जिनसे कोई उम्मीद नहीं होती, अक्सर वही लोग कमाल करते हैं।”
आशावादी प्रसंग-
(प्रसंग – किसी से कोई आशा नहीं रखना चाहिए)
एक गाँव में एक गरीब मजदूर रहता था। काम पर जाते समय वो अपने गांव के प्रधान के दरवाजे से निकलता था। एक दिन शर्दी बहुत थी, तो प्रधान जी ने उस गरीब मजदूर से पूछा कि “इतनी शर्दी में तुमने स्वेटर नहीं पहना..!” गरीब आदमी ने उत्तर दिया ” मेरे पास स्वेटर नहीं है, सम्भवतः आगे भी स्वेटर खरीद नहीं पाऊंगा..! मुझे ठंड लगती भी नहीं है..!”
प्रधान जी बोले “मैं तुमको एक स्वेटर खरीद कर दूंगा..!” कुछ दिन बीते वो गरीब आदमी मर गया ..! मरने से पहले उसने एक पत्र प्रधान जी के नाम लिखा था! – ” मुझे आपने वादा किया था कि मैं तुमको एक स्वेटर खरीद कर दूंगा, लेकिन आपने ऐसा किया नहीं..! मेरा शरीर शर्दी के अनुकूल ढल चुका था। मैं शर्दी से लड लिया करता था! आपके वादे से मुझमें स्वेटर की आशा जगी जिससे मेरे शरीर ने शर्दी से लड़ना बंद कर दिया! आज मेरी स्थिति ऐसी है कि मैं मर रहा हूँ…!”
अतः कभी किसी किसी से नेताओं की तरह वादे नहीं करना चाहिए ! और साथ ही किसी से कोई आशा भी नहीं पालनी चाहिए।
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